Friday, July 12, 2019

Haram Rishtey

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Jo Rabb ka na huwa, wo tera nhi hoga.
Jis dil me nhi Allah, usme sawera nhi hoga.
Tum ye kis ki muhbbat me, khaq ho rhe ho.
Apni tabahi k Jimmedar apne aap ho rhe ho.
Wo ishq qamyaab ho hi nhi skta, jisme Rabb ki razaa na ho,
Dekhna tmhari muhbbat ka haqdar, koi mehram k siwa na ho.
Ye jo haram rishtey bna kr tum, dil lgate ho.
Kya farman-e-ilahi ko, bhool jate ho...???
Tmhari bahan burqe me rhe, Teri nazar zina krey,
Qanoon hain kaise tmhare, Kaise hain ye qayde.
Duniya izzzt-o-shan k maliq ho, aur ho doulat wale v,,,
Magar aakhirat me tere qirdar pr hain sawal uthne wale v.
Kamaya kaha se, aur kaha khrch tu krta rha..???
Zakaat ada kiya ya sirf, apni jeb bhrta rha...???
To ab v hai wqt aur aakhiri sans tk hoga,,,
Mout k bad, tera aashiq bhi tmhara sath na dega.
Kro sb kuch mgr rho dayer e shariyat me,
Kahi koi kami na aane paye Teri neeyat me.
Nikah ka huqm hai tumko, nikah ki khoobiya dekho,
Chand Dino ki ghafalat se, azaab e ilahi na kharido.
Nighaho ko jhuka loge jb gair-mehram ko dekh kr.
Fariste ameen kahenge fir Teri hr nek duwa pr.
Tu sabr kr k dekh ley, sabr jannat dilayegi.
Jahannum se bacha legi, bahist ka haqdar bnayegi.
Maidan e mahshr me Ae Rabb, mujh pr Raham frma kr,
Mujhe dojakh se nizat dey, mujhe firdoush ataa kr...!!!
Ameen Summa Ameen
💖💖💖💖💖💖💖💖💖

Nafs aur Mai

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Mujhe hai geela meri jaan se,
Mai zulm khud hi pr krti hoon.
Mera nafs hai mera Adoo...,
Mai apne aap se drti hoon...!!!
         Shayatan ko bhi jisne bahka diya,
         Ye nafs hi ka kamal tha.
         Wrna iblees bhi sazda-gujar tha,
         Aur jannat me wo khush-haal tha.
Ab ummat-e-mustafa k samne,
Dushmn khde hn do bde...!!!
Hme door rhna hai shayatan se,
Chlo hm nafs pr v qaboo rkhey.
          kahi aisa v na ho jaye kabhi,
          Kho jaye hm duniya me hi...!!!
          Aur bhool kr maqsad-e-zindgi,
          Apnane lgey hm gunahgari...!!!
Hme yaad rkhna hai hr hal me,
Hm ummat-e-rasool hain.  
(sallallhutaa'la allaihi wa-aalehi wassallim)
Maaf krna jinki adaa hai aur,
Insaf jinka usool hai
          Ambiya k sardar k,
          Beshaq hain hm ummati.
          Hmare pyare Nabi k shafa'at se,
          Mere Rabb bnana hmko jannti.
         (sallallhutaa'la allaihi wa-aalehi wassallam)
             AMEEN SUMMA AMEEN
             💖 💖 💖 💖 💖 💖 💖 💖 

Tuesday, April 9, 2019

इस्लाम के हदों में

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जब क़ैद हो जाओ तुम, अपनी आज़ादियों में,
तो लौट आना फिर इस्लाम की हदों में।
इन हदों में हर वक़्त,
रहेगा दिल तेरा मुन्नवर।
यहाँ वो सुकूँ मिलेगा,
जिसे तुमने किया हो न तसव्वुर।
जब हार जाओ तुम, सारी मुहब्बतों में।
तो लौट आना फिर ईमान की हदों में।
कामयाबियों के धुन में,
जब बहुत दूर निकल जाओ।
आवाज़ आपने दिल की,
तुम ख़ुद ही न सुन पाओ।
बेज़ार हो जाओ जब, दुनिया की लज़्ज़तो से।
तो लौट आना फिर क़ुरआन की हदों में।
तलब है तुम्हें सुकून की,
हर वक़्त ही,हर हाल में।
तो दिल के हर कोने से,
शैतान को निकाल दे।
जब ख़ौफ़ आने लगे, जहन्नम की अज़ीयतों से,
तो लौट आना फिर तुम रहमान की हदों में।
मरने के बाद भी अगर,
हो जीने की तमन्ना।
तो हुक़्म-ए-ईलाही के ख़िलाफ़,
करना काम तुम कभी ना।
लुत्फ़ लेना चाहते हो ,जन्नत की नेयमतों से,
तो लौट आना तुम इस्लाम की हदों में।

Monday, April 8, 2019

रब्ब सम्भाल लेगा!!!

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हम संभल जाएंगे, रब्ब हमको सम्भाल लेगा।
जिसने अज़माइशों में डाला है, वो मुश्किलों से निकाल लेगा।
मुझे उस पर एतमाद है, इसी एतमाद पर ही साँसें हैं,
मुसीबत भी, मुसर्रत भी, चंद लम्हे की बातें हैं।
कि इस ज़िन्दगी के बाद एक ज़िन्दगी और भी होगी,
शिक़ायत नहीं है किस्मत से, ज़िन्दगी चाहे जिस तौर कटेगी।
ये आँसू क़ीमती हैं बड़े दरबार-ए- ख़ालिक़ में,
मेेरे दिल में भी वही है, जो धड़कनों का मालिक़ है।
उसकी रज़ा में ढ़ल जाएं, उनकी बात आला है।
यहाँ हालात मुश्किल हैं ,वहाँ इनामात आला हैं।
सबकुछ जानकर जहाँ से बेगरज़ हो जा ऐ दिल!
जो यहाँ सब्र करते हैं ,वहाँ वही लोग हैं क़ामिल।
कभी अंज़ाम-ए-ज़िन्दगी रख कर ज़ेहन में कर सफ़र आगाज़,
नफ़स को क़ैद कर  लो, फ़िर मंज़िल करो तलाश।

Friday, February 15, 2019

ये हादसा और दिल मेरा

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एक हादसा हुआ ऐसा,
रो पड़ा एक साथ पूरा हिन्दुस्तां।
गोद सुनी हुई कई माँओ की,
कई बेटों ने बाप खोये हैं।
काश उन्हें भी समझ आये ये ग़म,
जिन्होंने नफरतों के बीज बोए हैं।
लाश पर रो पड़ी है वो औरत,
जिसने खोया है अपने शौहर को
जो जिम्मेदार हैं इन हादसों के लिये,
जुदा उनके जिस्म से उनकी साँसें कर दो।
वो बहन भाई के सभी क़िस्से,
अब न दुहराए जाएंगे घर में कभी।
उस बहन के सवालों का जवाब दे सके,
इतना ताक़तवर कोई इंसान नहीं।
आँसूं पोछें या ख़ुद ही रो लें,
ज़ख्म हर दिल ने आज़ खाये हैं।
जो तसल्लियां देने गए थे,
वो ख़ुद आँसू बहा कर आएं हैं।
ज़ुर्म और हादसों की ऐ ख़ुदा,
हो सके तो अब ख़ात्मा कर दे।
या तो तू ख़ुद ही सज़ा दे उनको,
या ये काम हमारे लिये आसां कर दे।

Wednesday, January 30, 2019

उम्मीदों का टूटना

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चाहे जितने अज़ीम होंगे तुम,
मेरे सामने तो बस एक झूठे हो।
मुझे था तोड़ना और तोड़ दिया,
तोड़कर ख़ुद भी तो तुम टूटे हो।
                टूकड़े तुम चुनकर लाओ तेरी,
                हम हमारी बिसात समेटेंगे।
                आज़ मुहब्बत की तराज़ू में,
                दर्द की औक़ात तोलेंगें।
तुम मेरी फ़िक़र न करना,
तेरे बाद हम भी बदले हैं।
हम भी फिसले थे तेरे आने से,
तेरे जाने के बाद संभले हैं।
                  अब एक नई सी दुनिया में हम,
                   बड़े सुकून से जीते हैं।
                   न यहाँ ग़ैर है कोई अपना,
                   न बेवफ़ाई किसी ने सीखे हैं।
तुम्हें माफ़ करना बड़ा आसान होता,
तुमने वादें जो न किये होते।
हम भी ख़ुश होते अपनी दुनिया में,
तुमसे उम्मीदें न रखे होते।
                     ये उम्मीदों का टूटना ज़ालिम,
                     दिल को तक़लीफ़ बहुत देता है।
                     और मुस्कुराहटें दिल की,
                     दिल ख़ुद ही छीन लेता है।
मेरी दुनिया से दूर जाकर तुमको,
मिला बेहतरीन क्या तुम ही सोचो।
अब न बढ़ो तुम मेरे घर के तरफ,
अपने क़दमों को तुम वहीं रोको।

Friday, January 25, 2019

ख़्वाहिशों का ख़ात्मा

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मुझे रंज है ना मलाल है।
मेरे वजूद का ये ज़वाल है।
मेरी ख़्वाहिशों का है ख़ात्मा,
मेरी ज़िंदगी का सवाल है।
                 तू लौट आए अगर अभी से भी,
                 मैं नाराज़गी में भी हँस पडूँ।
                 मेरे सर पर हाथ जो रख दे तू,
                 मैं दुबारा से जीने लगूँ।
मुझे उम्मीद है तेरे आने की,
उम्मीदों पर साँसें बाक़ी है।
इस फ़लक़ से अज़ीम ईश्क़ की,
हर एक मुलाक़ात आधी है।
                    तू जो आये तो मुझे सुकूँ मिले,
                     तेरे बग़ैर हर शय उदास है।
                     मुझे क्या गरज़ इस जहान से,
                     मेरे दोनों जहाँ तेरे पास है।
यूँ बेख़बर ना रहा करो,
मेरे ईश्क़ से मेरे हाल से।
मुझे माफ़ कर अगर ख़ता किया,
सारे रंज दिल से निकाल दे।
                       तेरे दीद का हूँ मैं मुन्तज़िर,
                       दीदार दे, मुझे प्यार दे।
                       हर हाल में मुझे आ मिलो,
                       साँसों को तेरा इन्तज़ार है।
मुझे रंज है ना मलाल है,
मेरे वजूद का ये ज़वाल है।
मेरी ख़्वाहिशों का है ख़ात्मा,
मेरी ज़िंदगी का सवाल है।

Thursday, January 24, 2019

रिश्तों का तमाशा

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ऐसे तमाशा बना कर रिश्तों का,
तुमको हासिल भी और क्या होगा।
इब्तेदा ही किया बुरे से तो ,
बेशक़ अंज़ाम भी बुरा होगा।
       चलो तुम अपने हक़ की बात करो,
       हम सर झुका कर सुनते हैं।
       तुम अपने नाम कर लो सारी जमीन,
       हम उस आसमाँ को चुनते हैं।
हमें सुकून की जरूरत है,
शोर आ रही है यहाँ हर ज़ानिब से।
वो गवाह जितने लाये थे,
सब के सब मुजरिमों के आशिक़ थे।
         यक़ीन इंसाफ से न उठ जाए,
         इससे पहले ज़मीर जगा लो अपनी।
         तुम्हें अदालतों की ज़रूरत न हो,
         अपनी जुर्मों को सज़ा दो ख़ुद ही।
साफ रखो इस शहर की हवा,
ये हवा दिलों तक जाती है।
नफ़्स की ग़ुलामी अब न झेलेंगे,
मेरी ख़ुदी मुझे बुलाती है।

Tuesday, January 22, 2019

लहरों से गुफ़्तगू

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मैं किनारे खड़ी थी समुन्दर के,
लहरों से करने गुफ़्तगू।
कुछ उनकी बातें मैं सुनूँ,
कुछ अपनी बातें उनसे कहूँ।
          मैंने बातों की यूँ  इब्तेदा किया,
          कि ज़िन्दगी से गीला किया।
          कहा "बद-नसीबी में हूँ मैं जी रही,
            सुकून क़ल्ब को हासिल नहीं।
                       कभी मंजिलों ने ठुकरा दिया।
                       कभी अपनों ने मुझको तबाह किया।
                       कभी ख़्वाबों ने की बगावतें ,
                       कभी जख़्मों की झेली अदावतें
                                 अब इस क़दर मैं निरास हूँ।
                                  कि ज़िन्दगी से बे-आस हूँ।
                                  बस यहीं मेरे ख़्याल हैं।
                                  तू बता की तेरा क्या हाल है।
मेरी बात सुनकर समुन्दर ने,
अफ़सोस की बे-इन्तेहाँ।
फिर लहरों ने आकर क़रीब,
हाल अपना बयाँ किया।
        कहा-"सुन ज़रा तुम ध्यान से।
        इस बेगरज से जहान से।
        कुछ माँगने की उम्मीद छोड़ दे।
         दे हर एक को जितना तू दे सके।
                  ना मलाल कर तक़दीर का।
                  तेरे साथ है तेरा ख़ुदा।
                  वो तेरा साथ देगा तूफान में।
                  तेरा पास अगर तेरा ईमान है।
                            तू मंजिलों का ग़म न कर।
                            राहों पर चलना कम न कर।
                            तेरे ख़्वाब ख़ुद तेरे पास आएंगे।
                             तेरे अपने भी तुम्हें अपनायेनंगे।
मुझे देख मैं किनारों से,
खाता हूँ कितनी ठोकरें।
फिर भी कभी मैं थका नहीं।
एक पल के लिये भी डरा नहीं।
          मैंने हार भी नहीं मानी है।
          और दिल में मैंने ये ठानी है।
          ताउम्र यूँ ही लड़ूंगा मैं।
          जख़्मों से कभी न डरूंगा मैं।
                    अगर जोर तुम भी लगाओगे।
                    तो किनारें भी तोड़ जाओगे।
                    ख़ुद पर भरोशा होगा तुम्हें।
                    टूटेंगी ना फिर उम्मीदें।
                             फिर जीत तेरी किस्मत होगी।
                             हर दिल में तेरी अज़मत होगी।
                            अपने दिल को ज़रा समझाओ तुम।
                            हद है! अब तो ज़रा मुस्कुराओ तुम।

मेरा सुकून

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मेरा ख़्याल हो,मेरा सुकून हो।
तुम जो भी हो,बड़े हसीन हो।
मेरी ज़िद्द हो तुम,मेरा जुनून हो।
तुम जो भी हो, बड़े हसीन हो।
                     तुम्हें सोच लूँ तो मैं हँस पडूँ।
                     जो चाहो तुम वो सब करूँ।
                     तुम उदास हो ये ना होने दूँ।
                      तू ख़ुश रहे तो मैं ख़ुश रहूँ।
मेरा ख़्याल हो,मेरा सुकून हो।
मेरी ज़िद्द हो तुम,मेरा जुनून हो।
                      तेरे नाम की मेरी महफ़िलें।
                      तन्हाइयों में,तुम्हें सोचा करें।
                      तेरा साथ दूँ , हर हाल में।
                      मेरा जवाब हो,तेरे सवाल में।
मेरा ख़्याल हो,मेरा सुकून हो।
तुम जो भी हो,बड़े हसीन हो।

ज़रा वक़्त दो...!!!

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ज़रा वक़्त दो, मैं समेट लूँ
जो टुकड़े गिरे हैं वजूद के।
यहाँ हर क़दम पर हैं हादसे,
यहाँ हर क़दम पर रक़ीब हैं।
मुझे रोकना है तूफान को,
मुझे हौसलों का जहान दो।
मुझे जीतना है ज़ुर्म से,
मुझे बेतहाशा ईमान दो।
मैं ना ग़म करूँ कि अब वो ग़ैर है,
जो कल तलक़ मेरी जान था।
मैं बस चल पडूँ मेरी राह पर,
ये मान कर वो एक इम्तेहान था।
मुझे हारने का ग़म न हो,
मुझे जीतने का शौक़ दे।
मुझे ग़ुरूर आकर न घेर ले,
मुझे सीखने का शौक़ दे।
मैं उलझ न जाऊँ फ़रेब में,
मुझे हक़ीक़तों का इल्म दे।
मैं सहूँ न कोई ज़ुल्म और,
रखूँ पाक़ ख़ुद को ज़ुल्म से।
मेरी आवाज़ सुन,मेरी मुराद सुन,
ऐ मेरे परवर-दिगार........!!!
मुझे तराश दे, मुझे सँवार दे,
और सुन मेरी हर एक पुकार!

Monday, January 21, 2019

कभी जब थकना चाहती हूँ

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कभी जब थकना चाहती हूँ।
कभी जब रुकना चाहती हूँ।
मैं ज़िन्दगी की धूप से,
कभी जब बचना चाहती हूँ।
                    तो कोई थाम लेता है,
                     मेरी ढहती हुई हिम्मत।
                      और समेट लाता है,
                      मेरी बिखरी हुई किस्मत।
वो मुझे डूबने से पहले तैरना सिखाता है।
इतना हसीन रिश्ता,मुझसे मेरे अल्लाह का है।
एक के बाद एक जब,
हमसे तूफ़ां टकराते हैं।
सब हमें छोड़ जाते हैं,
हम तन्हा रह जाते हैं।
                             साया कर के बचता है कोई,
                             हमें बारिश से,धूप से।
                             हर ग़म में लगाता है गले,
                             ख़ुशी के रूप में...।
वो मेरी मरती हुई उम्मीद को जीना सिखाता है।
इतना हसीन रिश्ता, मुझसे मेरे अल्लाह का है।
जब अँधेरों के डर से,
मैं आँखें बंद करती हूँ।
राहों में खोने के ख़ौफ़ से,
ख़्वाब अपने तंग करती हूँ।
                                   तो एक नूर का दिया,
                                   कर जाता है कोई रौशन।
                                   मेरे ख्वाबों में जान डालता है,
                                   देता है उन्हें धड़कन।
वो मुझे ग़लतफ़हमियों के दौर से बाहर ले आता है।
इतना हसीन रिश्ता.........मुझसे मेरे अल्लाह का है