Tuesday, January 22, 2019

ज़रा वक़्त दो...!!!

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ज़रा वक़्त दो, मैं समेट लूँ
जो टुकड़े गिरे हैं वजूद के।
यहाँ हर क़दम पर हैं हादसे,
यहाँ हर क़दम पर रक़ीब हैं।
मुझे रोकना है तूफान को,
मुझे हौसलों का जहान दो।
मुझे जीतना है ज़ुर्म से,
मुझे बेतहाशा ईमान दो।
मैं ना ग़म करूँ कि अब वो ग़ैर है,
जो कल तलक़ मेरी जान था।
मैं बस चल पडूँ मेरी राह पर,
ये मान कर वो एक इम्तेहान था।
मुझे हारने का ग़म न हो,
मुझे जीतने का शौक़ दे।
मुझे ग़ुरूर आकर न घेर ले,
मुझे सीखने का शौक़ दे।
मैं उलझ न जाऊँ फ़रेब में,
मुझे हक़ीक़तों का इल्म दे।
मैं सहूँ न कोई ज़ुल्म और,
रखूँ पाक़ ख़ुद को ज़ुल्म से।
मेरी आवाज़ सुन,मेरी मुराद सुन,
ऐ मेरे परवर-दिगार........!!!
मुझे तराश दे, मुझे सँवार दे,
और सुन मेरी हर एक पुकार!

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