मैं किनारे खड़ी थी समुन्दर के,
लहरों से करने गुफ़्तगू।
कुछ उनकी बातें मैं सुनूँ,
कुछ अपनी बातें उनसे कहूँ।
मैंने बातों की यूँ इब्तेदा किया,
कि ज़िन्दगी से गीला किया।
कहा "बद-नसीबी में हूँ मैं जी रही,
सुकून क़ल्ब को हासिल नहीं।
कभी मंजिलों ने ठुकरा दिया।
कभी अपनों ने मुझको तबाह किया।
कभी ख़्वाबों ने की बगावतें ,
कभी जख़्मों की झेली अदावतें
अब इस क़दर मैं निरास हूँ।
कि ज़िन्दगी से बे-आस हूँ।
बस यहीं मेरे ख़्याल हैं।
तू बता की तेरा क्या हाल है।
मेरी बात सुनकर समुन्दर ने,
अफ़सोस की बे-इन्तेहाँ।
फिर लहरों ने आकर क़रीब,
हाल अपना बयाँ किया।
कहा-"सुन ज़रा तुम ध्यान से।
इस बेगरज से जहान से।
कुछ माँगने की उम्मीद छोड़ दे।
दे हर एक को जितना तू दे सके।
ना मलाल कर तक़दीर का।
तेरे साथ है तेरा ख़ुदा।
वो तेरा साथ देगा तूफान में।
तेरा पास अगर तेरा ईमान है।
तू मंजिलों का ग़म न कर।
राहों पर चलना कम न कर।
तेरे ख़्वाब ख़ुद तेरे पास आएंगे।
तेरे अपने भी तुम्हें अपनायेनंगे।
मुझे देख मैं किनारों से,
खाता हूँ कितनी ठोकरें।
फिर भी कभी मैं थका नहीं।
एक पल के लिये भी डरा नहीं।
मैंने हार भी नहीं मानी है।
और दिल में मैंने ये ठानी है।
ताउम्र यूँ ही लड़ूंगा मैं।
जख़्मों से कभी न डरूंगा मैं।
अगर जोर तुम भी लगाओगे।
तो किनारें भी तोड़ जाओगे।
ख़ुद पर भरोशा होगा तुम्हें।
टूटेंगी ना फिर उम्मीदें।
फिर जीत तेरी किस्मत होगी।
हर दिल में तेरी अज़मत होगी।
अपने दिल को ज़रा समझाओ तुम।
हद है! अब तो ज़रा मुस्कुराओ तुम।
लहरों से करने गुफ़्तगू।
कुछ उनकी बातें मैं सुनूँ,
कुछ अपनी बातें उनसे कहूँ।
मैंने बातों की यूँ इब्तेदा किया,
कि ज़िन्दगी से गीला किया।
कहा "बद-नसीबी में हूँ मैं जी रही,
सुकून क़ल्ब को हासिल नहीं।
कभी मंजिलों ने ठुकरा दिया।
कभी अपनों ने मुझको तबाह किया।
कभी ख़्वाबों ने की बगावतें ,
कभी जख़्मों की झेली अदावतें
अब इस क़दर मैं निरास हूँ।
कि ज़िन्दगी से बे-आस हूँ।
बस यहीं मेरे ख़्याल हैं।
तू बता की तेरा क्या हाल है।
मेरी बात सुनकर समुन्दर ने,
अफ़सोस की बे-इन्तेहाँ।
फिर लहरों ने आकर क़रीब,
हाल अपना बयाँ किया।
कहा-"सुन ज़रा तुम ध्यान से।
इस बेगरज से जहान से।
कुछ माँगने की उम्मीद छोड़ दे।
दे हर एक को जितना तू दे सके।
ना मलाल कर तक़दीर का।
तेरे साथ है तेरा ख़ुदा।
वो तेरा साथ देगा तूफान में।
तेरा पास अगर तेरा ईमान है।
तू मंजिलों का ग़म न कर।
राहों पर चलना कम न कर।
तेरे ख़्वाब ख़ुद तेरे पास आएंगे।
तेरे अपने भी तुम्हें अपनायेनंगे।
मुझे देख मैं किनारों से,
खाता हूँ कितनी ठोकरें।
फिर भी कभी मैं थका नहीं।
एक पल के लिये भी डरा नहीं।
मैंने हार भी नहीं मानी है।
और दिल में मैंने ये ठानी है।
ताउम्र यूँ ही लड़ूंगा मैं।
जख़्मों से कभी न डरूंगा मैं।
अगर जोर तुम भी लगाओगे।
तो किनारें भी तोड़ जाओगे।
ख़ुद पर भरोशा होगा तुम्हें।
टूटेंगी ना फिर उम्मीदें।
फिर जीत तेरी किस्मत होगी।
हर दिल में तेरी अज़मत होगी।
अपने दिल को ज़रा समझाओ तुम।
हद है! अब तो ज़रा मुस्कुराओ तुम।
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